क्यु १ में भारत की जीडीपी पहोंची २०% के पार
पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद, वर्ष 2021-22 के लिए प्रोत्साहक

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने स्थिर (2011-12) और वर्तमान मूल्य दोनों पर 2021-22 की पहली तिमाही- क्यु १ (अप्रैल-जून) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमानों के साथ ही पिछले वर्ष इसी तिमाही की तुलना में जीडीपी के व्यय घटक भी जारी कर दिए गए हैं।

अप्रैल-जून 2021 की अवधि के लिए महालेखा नियंत्रक (सीजीए) और भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा तैयार किए गए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी), केंद्र और राज्य सरकार के व्यय के मासिक खातों का उपयोग किया गया है। अनुमानों के संकलन के दौरान प्रमुख क्षेत्रों के प्रदर्शन को ध्यान में रखा गया है। इसके साथ ही बीएसई/ एनएसई से मिले डाटा पर आधारित पहली तिमाही में कॉरपोरेट क्षेत्र के प्रदर्शन को भी ध्यान में रखा गया है। जीएसटी डाटा, ई-वे बिल जैसे डाटा के अतिरिक्त स्रोतों का भी उपयोग किया गया है।

जीडीपी को बुनियादी कीमतों, उत्पादों पर सभी कर जोड़कर, उत्पादों पर सब्सिडी को हटाकर सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) के योग के द्वारा निकाला जाता है। जीडीपी संकलन के लिए उपयोग किए गए सकल कर राजस्व में गैर जीएसटी राजस्व और जीएसटी राजस्व शामिल होता है। महालेखा नियंत्रक (सीजीए) और भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की वेबसाइट पर उपलब्ध ताजा जानकारी को वर्तमान मूल्यों पर उत्पादों पर करों के अनुमान के लिए उपयोग किया गया है। स्थिर मूल्यों पर उत्पादों पर कर हासिल करने के लिए, कर योग्य सामानों और सेवाओं में विस्तार का उपयोग करते हुए वॉल्यूम की गणना की जाती है और कुल करों के आकलन के लिए उन्हें एकीकृत किया जाता है। सरकार के अंतिम उपभोग व्यय (जीएफसीई) और सब्सिडी के अनुमान के उद्देश्य से राजस्व व्यय, ब्याज भुगतान, सब्सिडी आदि के लिए सीजीए और सीएजी की वेबसाइटों पर उपलब्ध नवीनतम डाटा का उपयोग किया गया है।

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर की रोकथाम के उद्देश्य से 2021-22 की पहली तिमाही के दौरान स्थानीय और आंशिक लॉकडाउन लगाए गए थे। आवश्यक नहीं समझी जाने वाली आर्थिक गतिविधियों के साथ ही लोगों की आवाजाही पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा विभिन्न राज्यों में लगे लॉकडाउन को ध्यान में रखा गया था। कोविड-19 महामारी के चलते आर्थिक गतिविधियों और डाटा संग्रह व्यवस्थाओं पर पड़े प्रभाव का असर जीडीपी के तिमाही अनुमानों पर भी दिखा है। समग्र आर्थिक गतिविधि पर इन आर्थिक उपायों का प्रभाव प्राप्त डाटा में दिखाई दिया है।

2021-22 की पहली तिमाही में स्थिर मूल्यों (2011-12) पर अनुमानित जीडीपी 32.38 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि 2020-21 की पहली तिमाही में यह 26.95 लाख करोड़ रुपये था, जिससे 20.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी प्रदर्शित होती है जबकि 2020-21 पहली तिमाही में 24.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। 2021-22 की पहली तिमाही के लिए बुनियादी मूल्य पर स्थिर (2011-12) मूल्यों पर तिमाही जीवीए अनुमानित रूप से 30.48 लाख करोड़ रुपये है जबकि 2020-21 की पहली तिमाही में 25.66 लाख करोड़ रुपये रहा था, इससे 18.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी प्रदर्शित होती है।

2021-22 की पहली तिमाही में वर्तमान मूल्यों पर जीडीपी 51.23 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि 2020-21 में यह 38.89 लाख करोड़ रुपये था जिससे 2020-21 की पहली तिमाही में 22.3 प्रतिशत की कमी की तुलना में 31.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी प्रदर्शित होती है। 2021-22 की पहली तिमाही में वर्तमान मूल्यों पर बुनियादी कीमतों पर जीवीए 46.20 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि 2020-21 की पहली तिमाही में यह 36.53 लाख करोड़ रुपये रहा था। इससे 26.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी प्रदर्शित होती है।

आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से बुनियादी कीमतों पर जीवीए के साथ जीडीपी के अनुमानों, स्थिर (2011-12) और वर्तमान मूल्यों पर जीडीपी पर व्यय के साथ ही 2019-20, 2020-21 और 2021-22 की पहली तिमाही के लिए अनुमानों में प्रतिशत में बदलाव और व्यय दरों के घटकों का ब्योराविवरण 1 से 4 में दिया गया है।